भारत का मूल चरित्र "सनातन" है और रहेगा

जब तक चरित्र निर्माण नहीं होगा, कितनी भी प्रगति कर लो विश्वगुरु नहीं बन सकते

और ये कार्य पूर्ण रूप से माताओं की जिमेदारी है

अर्थात माता सदा से प्रथम गुरु है
भारत का मूल चरित्र "सनातन" है और रहेगा जब तक चरित्र निर्माण नहीं होगा, कितनी भी प्रगति कर लो विश्वगुरु नहीं बन सकते और ये कार्य पूर्ण रूप से माताओं की जिमेदारी है अर्थात माता सदा से प्रथम गुरु है
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