Rehber
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We all know that Cricket started from England. It was a posh game where you ask less fortunate to bowl and you bat in style.We all know that Cricket started from England. It was a posh game where you ask less fortunate to bowl and you bat in style.0 Yorumlar 0 hisse senetleri 452 Views 0 önizlemePlease log in to like, share and comment!
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"First Time In History": Cancer Vanishes For Every Patient In Drug Trial
https://hamroglobalmedia.com/34443"First Time In History": Cancer Vanishes For Every Patient In Drug Trial https://hamroglobalmedia.com/34443HAMROGLOBALMEDIA.COM"First Time In History": Cancer Vanishes For Every Patient In Drug TrialIn a very small trial done by doctors at New York's Memorial Sloan Kettering Cancer Center, patients took a drug called dostarlimab for six months. The trial resulted in every single one of their tumors disappearing.1 Yorumlar 0 hisse senetleri 861 Views 0 önizleme -
By allowing Credit Card linking with UPI, the RBI has given birth to a new challenger credit card network to the Visa / Mastercard Duopoly.
Currently..
- Visa is a $453B market cap, $24Bn revenue, and $13B profit network.
- Mastercard is a $355B market cap, $19B revenue, and $9B profit network.
Can UPI+Rupay disrupt the Credit Card Payment market??? Ofcourse YES
My Bet.... UPI will capture more than 50% of the Indian Credit Card Payment market in the next 2 years... Expect some fireworks from Western World.By allowing Credit Card linking with UPI, the RBI has given birth to a new challenger credit card network to the Visa / Mastercard Duopoly. Currently.. - Visa is a $453B market cap, $24Bn revenue, and $13B profit network. - Mastercard is a $355B market cap, $19B revenue, and $9B profit network. Can UPI+Rupay disrupt the Credit Card Payment market??? Ofcourse YES My Bet.... UPI will capture more than 50% of the Indian Credit Card Payment market in the next 2 years... Expect some fireworks from Western World.0 Yorumlar 0 hisse senetleri 475 Views 0 önizleme -
Bharat to Allow 1.2 Million Tonnes Of Wheat Exports ONLY to Bangladesh, Sri Lanka and Nepal.
NOTHING TO EUROPE & GULF YETBharat to Allow 1.2 Million Tonnes Of Wheat Exports ONLY to Bangladesh, Sri Lanka and Nepal. NOTHING TO EUROPE & GULF YET0 Yorumlar 0 hisse senetleri 537 Views 0 önizleme -
Former Ukrainian Parliamentary Commissioner for Human Rights Lyudmila Denisova admitted to a Ukrainian news outlet that she lied about Russian soldiers committing mass **** in an effort to convince the West to send more weapons.Former Ukrainian Parliamentary Commissioner for Human Rights Lyudmila Denisova admitted to a Ukrainian news outlet that she lied about Russian soldiers committing mass rape in an effort to convince the West to send more weapons.0 Yorumlar 0 hisse senetleri 534 Views 0 önizleme
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Listen carefully!!
What you eat is important but your utensils can damage irreparable health degradation.
Watch till the end.Listen carefully!! What you eat is important but your utensils can damage irreparable health degradation. Watch till the end. -
एक बार राजा के दरबार में एक फ़कीर गाना गाने जाता है,
फ़कीर बहुत अच्छा गाना गाता है।
राजा अपने वजीर से कहते हैं :-
"इसे खूब सारा सोना दे दो।"
-फ़कीर और अच्छा गाता है।
राजा कहते हैं :-
"इसे हीरे जवाहरात भी दे दो।"
-फकीर और अच्छा गाता है।
राजा कहते हैं :-
इसे अशरफियाँ भी दे दो।
-फ़कीर और अच्छा गाता है।
राजा कहते हैं :-
इसे खूब सारी ज़मीन भी दे दो।
फ़कीर गाना गा कर घर चला जाता है
और
अपने बीबी बच्चों से कहता है,
आज हमारे राजा जी ने मेरे गाने से खुश होकर खूब सारे इनाम घोषित किये हैं :-
हीरे, जवाहरात, सोना, ज़मीन, असरफियाँ बहुत कुछ दिया।
-सब बहुत खुश होते हैं
कुछ दिन बीते
फ़कीर को अभी तक मिलने वाला इनाम नही पहुँचा था...
-फ़कीर दरवार में पता करने पहुँचा...
कहने लगा :-
राजा जी आप के द्वारा दिया गया इनाम मुझे अभी तक नहीं मिला?😢
राजा कहते हैं ..,,,
अरे फ़कीर
ये लेन देन की बात में कुछ नहीं रखा है।
तू मेरे कानों को खुश करता रहा...
और
मैं तेरे कानों को खुश करता रहा।एक बार राजा के दरबार में एक फ़कीर गाना गाने जाता है, फ़कीर बहुत अच्छा गाना गाता है। राजा अपने वजीर से कहते हैं :- "इसे खूब सारा सोना दे दो।" -फ़कीर और अच्छा गाता है। राजा कहते हैं :- "इसे हीरे जवाहरात भी दे दो।" -फकीर और अच्छा गाता है। राजा कहते हैं :- इसे अशरफियाँ भी दे दो। -फ़कीर और अच्छा गाता है। राजा कहते हैं :- इसे खूब सारी ज़मीन भी दे दो। फ़कीर गाना गा कर घर चला जाता है और अपने बीबी बच्चों से कहता है, आज हमारे राजा जी ने मेरे गाने से खुश होकर खूब सारे इनाम घोषित किये हैं :- हीरे, जवाहरात, सोना, ज़मीन, असरफियाँ बहुत कुछ दिया। -सब बहुत खुश होते हैं कुछ दिन बीते फ़कीर को अभी तक मिलने वाला इनाम नही पहुँचा था... -फ़कीर दरवार में पता करने पहुँचा... कहने लगा :- राजा जी आप के द्वारा दिया गया इनाम मुझे अभी तक नहीं मिला?😢 राजा कहते हैं ..,,, अरे फ़कीर ये लेन देन की बात में कुछ नहीं रखा है। तू मेरे कानों को खुश करता रहा... और मैं तेरे कानों को खुश करता रहा।0 Yorumlar 0 hisse senetleri 392 Views 0 önizleme -
श्री अयोध्या जी में 'कनक भवन' एवं 'हनुमानगढ़ी' के बीच में एक आश्रम है जिसे 'बड़ी जगह' अथवा 'दशरथ महल' के नाम से जाना जाता है। काफी पहले वहाँ एक सन्त रहा करते थे जिनका नाम था श्री रामप्रसाद जी। उस समय अयोध्या जी में इतनी भीड़ भाड़ नहीं होती थी। ज्यादा लोग नहीं आते थे। श्री रामप्रसाद जी ही उस समय बड़ी जगह के कर्ता धर्ता थे। वहाँ बड़ी जगह में मन्दिर है जिसमें पत्नियों सहित चारों भाई (श्री राम, श्री लक्ष्मण, श्री भरत एवं श्री शत्रुघ्न जी) एवं हनुमान जी की सेवा होती है। चूंकि सब के सब फक्कड़ सन्त थे .... तो नित्य मन्दिर में जो भी थोड़ा बहुत चढ़ावा आता था उसी से मन्दिर एवं आश्रम का खर्च चला करता था।
प्रतिदिन मन्दिर में आने वाला सारा चढ़ावा एक बनिए को (जिसका नाम था पलटू बनिया) भिजवाया जाता था। उसी धन से थोड़ा बहुत जो भी राशन आता था.... उसी का भोग-प्रसाद बनकर भगवान को भोग लगता था और जो भी सन्त आश्रम में रहते थे वे खाते थे।एक बार प्रभु की ऐसी लीला हुई कि मन्दिर में कुछ चढ़ावा आया ही नहीं। अब इन साधुओं के पास कुछ जोड़ा गांठा तो था नहीं... तो क्या किया जाए ..? कोई उपाय ना देखकर श्री रामप्रसाद जी ने दो साधुओं को पलटू बनिया के पास भेज के कहलवाया कि भइया आज तो कुछ चढ़ावा आया नहीं है... अतः थोड़ा सा राशन उधार दे दो... कम से कम भगवान को भोग तो लग ही जाए। पलटू बनिया ने जब यह सुना तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि मेरा और महन्त जी का लेना देना तो नकद का है... मैं उधार में कुछ नहीं दे पाऊँगा।
श्री रामप्रसाद जी को जब यह पता चला तो "जैसी भगवान की इच्छा" कहकर उन्होंने भगवान को उस दिन जल का ही भोग लगा दिया। सारे साधु भी जल पी के रह गए।प्रभु की ऐसी परीक्षा थी कि रात्रि में भी जल का ही भोग लगा और सारे साधु भी जल पीकर भूखे ही सोए।वहाँ मन्दिर में नियम था कि शयन कराते समय भगवान को एक बड़ा सुन्दर पीताम्बर ओढ़ाया जाता था तथा शयन आरती के बाद श्री रामप्रसाद जी नित्य करीब एक घण्टा बैठकर भगवान को भजन सुनाते थे। पूरे दिन के भूखे रामप्रसाद जी बैठे भजन गाते रहे और नियम पूरा करके सोने चले गए।
धीरे-धीरे करके रात बीतने लगी। करीब आधी रात को पलटू बनिया के घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया। वो बनिया घबरा गया कि इतनी रात को कौन आ गया। जब आवाज सुनी तो पता चला कुछ बच्चे दरवाजे पर शोर मचा रहे हैं–'अरे पलटू... पलटू सेठ ... अरे दरवाजा खोल...।' उसने हड़बड़ा कर खीझते हुए दरवाजा खोला। सोचा कि जरूर ये बच्चे शरारत कर रहे होंगे... अभी इनकी अच्छे से डांट लगाऊँगा।जब उसने दरवाजा खोला तो देखता है कि–चार लड़के जिनकी अवस्था बारह वर्ष से भी कम की होगी .... एक पीताम्बर ओढ़ कर खड़े हैं।*
वे चारों लड़के एक ही पीताम्बर ओढ़े थे। उनकी छवि इतनी मोहक .... ऐसी लुभावनी थी कि ना चाहते हुए भी पलटू का सारा क्रोध प्रेम में परिवर्तित हो गया और वह आश्चर्य से पूछने लगा–'बच्चों ...! तुम हो कौन और इतनी रात को क्यों शोर मचा रहे हो...?'
बिना कुछ कहे बच्चे घर में घुस आए और बोले–हमें रामप्रसाद बाबा ने भेजा है। ये जो पीताम्बर हम ओढ़े हैं... इसका कोना खोलो... इसमें सोलह सौ रुपए हैं... निकालो और गिनो।' ये वो समय था जब आना और पैसा चलता था। सोलह सौ उस समय बहुत बड़ी रकम हुआ करते थे। जल्दी-जल्दी पलटू ने उस पीताम्बर का कोना खोला तो उसमें सचमुच चांदी के सोलह सौ सिक्के निकले। प्रश्न भरी दृष्टि से पलटू बनिया उन बच्चों को देखने लगा। तब बच्चों ने कहा–'इन पैसों का राशन कल सुबह आश्रम भिजवा देना।
अब पलटू बनिया को थोड़ी शर्म आई–'हाय...! आज मैंने राशन नहीं दिया... लगता है महन्त जी नाराज हो गए हैं... इसीलिए रात में ही इतने सारे पैसे भिजवा दिए।' पश्चाताप, संकोच और प्रेम के साथ उसने हाथ जोड़कर कहा–'बच्चों..! मेरी पूरी दुकान भी उठा कर मैं महन्त जी को दे दूँगा तो भी ये पैसे ज्यादा ही बैठेंगे। इतने मूल्य का सामान देते-देते तो मुझे पता नहीं कितना समय लग जाएगा। बच्चों ने कहा–'ठीक है... आप एक साथ मत दीजिए... थोड़ा-थोड़ा करके अब से नित्य ही सुबह-सुबह आश्रम भिजवा दिया कीजिएगा... आज के बाद कभी भी राशन के लिए मना मत कीजिएगा।' पलटू बनिया तो मारे शर्म के जमीन में गड़ा जाए। वो फिर हाथ जोड़कर बोला–'जैसी महन्त जी की आज्ञा।' इतना कह सुन के वो बच्चे चले गए लेकिन जाते-जाते पलटू बनिया का मन भी ले गए।
इधर सवेरे सवेरे मंगला आरती के लिए जब पुजारी जी ने मन्दिर के पट खोले तो देखा भगवान का पीताम्बर गायब है। उन्होंने ये बात रामप्रसाद जी को बताई और सबको लगा कि कोई रात में पीताम्बर चुरा के ले गया।जब थोड़ा दिन चढ़ा तो गाड़ी में ढेर सारा सामान लदवा के कृतज्ञता के साथ हाथ जोड़े हुए पलटू बनिया आया और सीधा रामप्रसाद जी के चरणों में गिरकर क्षमा माँगने लगा।
रामप्रसाद जी को तो कुछ पता ही नहीं था। वे पूछें–'क्या हुआ... अरे किस बात की माफी मांग रहा है।' पर पलटू बनिया उठे ही ना और कहे–'महाराज रात में पैसे भिजवाने की क्या आवश्यकता थी... मैं कान पकड़ता हूँ आज के बाद कभी भी राशन के लिए मना नहीं करूँगा और ये रहा आपका पीताम्बर... वो बच्चे मेरे यहाँ ही छोड़ गए थे.... बड़े प्यारे बच्चे थे... इतनी रात को बेचारे पैसे लेकर आ भी गये... आप बुरा ना मानें तो मैं एक बार उन बालकों को फिर से देखना चाहता हूँ।' जब रामप्रसाद जी ने वो पीताम्बर देखा तो पता चला ये तो हमारे मन्दिर का ही है जो गायब हो गया था। अब वो पूछें कि–'ये तुम्हारे पास कैसे आया?' तब उस बनिया ने रात वाली पूरी घटना सुनाई। अब तो रामप्रसाद जी भागे जल्दी से और सीधा मन्दिर जाकर भगवान के पैरों में पड़कर रोने लगे कि–'हे भक्तवत्सल...! मेरे कारण आपको आधी रात में इतना कष्ट उठाना पड़ा और कष्ट उठाया सो उठाया मैंने जीवन भर आपकी सेवा की .... मुझे तो दर्शन ना हुआ ... और इस बनिए को आधी रात में दर्शन देने पहुँच गए।
जब पलटू बनिया को पूरी बात पता चली तो उसका हृदय भी धक् से होके रह गया कि जिन्हें मैं साधारण बालक समझ बैठा वे तो त्रिभुवन के नाथ थे... अरे मैं तो चरण भी न छू पाया। अब तो वे दोनों ही लोग बैठ कर रोएँ। इसके बाद कभी भी आश्रम में राशन की कमी नहीं हुई। आज तक वहाँ सन्त सेवा होती आ रही है। इस घटना के बाद ही पलटू बनिया को वैराग्य हो गया और यह पलटू बनिया ही बाद में श्री पलटूदास जी के नाम से विख्यात हुए
श्री रामप्रसाद जी की व्याकुलता उस दिन हर क्षण के साथ बढ़ती ही जाए और रात में शयन के समय जब वे भजन गाने बैठे तो मूर्छित होकर गिर गए। संसार के लिए तो वे मूर्छित थे किन्तु मूर्च्छावस्था में ही उन्हें पत्नियों सहित चारों भाइयों का दर्शन हुआ और उसी दर्शन में श्री जानकी जी ने उनके आँसू पोंछे तथा अपनी ऊँगली से इनके माथे पर बिन्दी लगाई जिसे फिर सदैव इन्होंने अपने मस्तक पर धारण करके रखा। उसी के बाद से इनके आश्रम में बिन्दी_वाले_तिलक का प्रचलन हुआ।
वास्तव में प्रभु चाहें तो ये अभाव... ये कष्ट भक्तों के जीवन में कभी ना आए परन्तु प्रभु जानबूझकर इन्हें भेजते हैं ताकि इन लीलाओं के माध्यम से ही जो अविश्वासी जीव हैं... वे सतर्क हो जाएं... उनके हृदय में विश्वास उत्पन्न हो सके। जैसे प्रभु ने आकर उनके कष्ट का निवारण किया ऐसे ही हमारा भी कर दे..!!
🚩जय सियाराम
आपका दिन मंगलमय हो 🙏श्री अयोध्या जी में 'कनक भवन' एवं 'हनुमानगढ़ी' के बीच में एक आश्रम है जिसे 'बड़ी जगह' अथवा 'दशरथ महल' के नाम से जाना जाता है। काफी पहले वहाँ एक सन्त रहा करते थे जिनका नाम था श्री रामप्रसाद जी। उस समय अयोध्या जी में इतनी भीड़ भाड़ नहीं होती थी। ज्यादा लोग नहीं आते थे। श्री रामप्रसाद जी ही उस समय बड़ी जगह के कर्ता धर्ता थे। वहाँ बड़ी जगह में मन्दिर है जिसमें पत्नियों सहित चारों भाई (श्री राम, श्री लक्ष्मण, श्री भरत एवं श्री शत्रुघ्न जी) एवं हनुमान जी की सेवा होती है। चूंकि सब के सब फक्कड़ सन्त थे .... तो नित्य मन्दिर में जो भी थोड़ा बहुत चढ़ावा आता था उसी से मन्दिर एवं आश्रम का खर्च चला करता था। प्रतिदिन मन्दिर में आने वाला सारा चढ़ावा एक बनिए को (जिसका नाम था पलटू बनिया) भिजवाया जाता था। उसी धन से थोड़ा बहुत जो भी राशन आता था.... उसी का भोग-प्रसाद बनकर भगवान को भोग लगता था और जो भी सन्त आश्रम में रहते थे वे खाते थे।एक बार प्रभु की ऐसी लीला हुई कि मन्दिर में कुछ चढ़ावा आया ही नहीं। अब इन साधुओं के पास कुछ जोड़ा गांठा तो था नहीं... तो क्या किया जाए ..? कोई उपाय ना देखकर श्री रामप्रसाद जी ने दो साधुओं को पलटू बनिया के पास भेज के कहलवाया कि भइया आज तो कुछ चढ़ावा आया नहीं है... अतः थोड़ा सा राशन उधार दे दो... कम से कम भगवान को भोग तो लग ही जाए। पलटू बनिया ने जब यह सुना तो उसने यह कहकर मना कर दिया कि मेरा और महन्त जी का लेना देना तो नकद का है... मैं उधार में कुछ नहीं दे पाऊँगा। श्री रामप्रसाद जी को जब यह पता चला तो "जैसी भगवान की इच्छा" कहकर उन्होंने भगवान को उस दिन जल का ही भोग लगा दिया। सारे साधु भी जल पी के रह गए।प्रभु की ऐसी परीक्षा थी कि रात्रि में भी जल का ही भोग लगा और सारे साधु भी जल पीकर भूखे ही सोए।वहाँ मन्दिर में नियम था कि शयन कराते समय भगवान को एक बड़ा सुन्दर पीताम्बर ओढ़ाया जाता था तथा शयन आरती के बाद श्री रामप्रसाद जी नित्य करीब एक घण्टा बैठकर भगवान को भजन सुनाते थे। पूरे दिन के भूखे रामप्रसाद जी बैठे भजन गाते रहे और नियम पूरा करके सोने चले गए। धीरे-धीरे करके रात बीतने लगी। करीब आधी रात को पलटू बनिया के घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया। वो बनिया घबरा गया कि इतनी रात को कौन आ गया। जब आवाज सुनी तो पता चला कुछ बच्चे दरवाजे पर शोर मचा रहे हैं–'अरे पलटू... पलटू सेठ ... अरे दरवाजा खोल...।' उसने हड़बड़ा कर खीझते हुए दरवाजा खोला। सोचा कि जरूर ये बच्चे शरारत कर रहे होंगे... अभी इनकी अच्छे से डांट लगाऊँगा।जब उसने दरवाजा खोला तो देखता है कि–चार लड़के जिनकी अवस्था बारह वर्ष से भी कम की होगी .... एक पीताम्बर ओढ़ कर खड़े हैं।* वे चारों लड़के एक ही पीताम्बर ओढ़े थे। उनकी छवि इतनी मोहक .... ऐसी लुभावनी थी कि ना चाहते हुए भी पलटू का सारा क्रोध प्रेम में परिवर्तित हो गया और वह आश्चर्य से पूछने लगा–'बच्चों ...! तुम हो कौन और इतनी रात को क्यों शोर मचा रहे हो...?' बिना कुछ कहे बच्चे घर में घुस आए और बोले–हमें रामप्रसाद बाबा ने भेजा है। ये जो पीताम्बर हम ओढ़े हैं... इसका कोना खोलो... इसमें सोलह सौ रुपए हैं... निकालो और गिनो।' ये वो समय था जब आना और पैसा चलता था। सोलह सौ उस समय बहुत बड़ी रकम हुआ करते थे। जल्दी-जल्दी पलटू ने उस पीताम्बर का कोना खोला तो उसमें सचमुच चांदी के सोलह सौ सिक्के निकले। प्रश्न भरी दृष्टि से पलटू बनिया उन बच्चों को देखने लगा। तब बच्चों ने कहा–'इन पैसों का राशन कल सुबह आश्रम भिजवा देना। अब पलटू बनिया को थोड़ी शर्म आई–'हाय...! आज मैंने राशन नहीं दिया... लगता है महन्त जी नाराज हो गए हैं... इसीलिए रात में ही इतने सारे पैसे भिजवा दिए।' पश्चाताप, संकोच और प्रेम के साथ उसने हाथ जोड़कर कहा–'बच्चों..! मेरी पूरी दुकान भी उठा कर मैं महन्त जी को दे दूँगा तो भी ये पैसे ज्यादा ही बैठेंगे। इतने मूल्य का सामान देते-देते तो मुझे पता नहीं कितना समय लग जाएगा। बच्चों ने कहा–'ठीक है... आप एक साथ मत दीजिए... थोड़ा-थोड़ा करके अब से नित्य ही सुबह-सुबह आश्रम भिजवा दिया कीजिएगा... आज के बाद कभी भी राशन के लिए मना मत कीजिएगा।' पलटू बनिया तो मारे शर्म के जमीन में गड़ा जाए। वो फिर हाथ जोड़कर बोला–'जैसी महन्त जी की आज्ञा।' इतना कह सुन के वो बच्चे चले गए लेकिन जाते-जाते पलटू बनिया का मन भी ले गए। इधर सवेरे सवेरे मंगला आरती के लिए जब पुजारी जी ने मन्दिर के पट खोले तो देखा भगवान का पीताम्बर गायब है। उन्होंने ये बात रामप्रसाद जी को बताई और सबको लगा कि कोई रात में पीताम्बर चुरा के ले गया।जब थोड़ा दिन चढ़ा तो गाड़ी में ढेर सारा सामान लदवा के कृतज्ञता के साथ हाथ जोड़े हुए पलटू बनिया आया और सीधा रामप्रसाद जी के चरणों में गिरकर क्षमा माँगने लगा। रामप्रसाद जी को तो कुछ पता ही नहीं था। वे पूछें–'क्या हुआ... अरे किस बात की माफी मांग रहा है।' पर पलटू बनिया उठे ही ना और कहे–'महाराज रात में पैसे भिजवाने की क्या आवश्यकता थी... मैं कान पकड़ता हूँ आज के बाद कभी भी राशन के लिए मना नहीं करूँगा और ये रहा आपका पीताम्बर... वो बच्चे मेरे यहाँ ही छोड़ गए थे.... बड़े प्यारे बच्चे थे... इतनी रात को बेचारे पैसे लेकर आ भी गये... आप बुरा ना मानें तो मैं एक बार उन बालकों को फिर से देखना चाहता हूँ।' जब रामप्रसाद जी ने वो पीताम्बर देखा तो पता चला ये तो हमारे मन्दिर का ही है जो गायब हो गया था। अब वो पूछें कि–'ये तुम्हारे पास कैसे आया?' तब उस बनिया ने रात वाली पूरी घटना सुनाई। अब तो रामप्रसाद जी भागे जल्दी से और सीधा मन्दिर जाकर भगवान के पैरों में पड़कर रोने लगे कि–'हे भक्तवत्सल...! मेरे कारण आपको आधी रात में इतना कष्ट उठाना पड़ा और कष्ट उठाया सो उठाया मैंने जीवन भर आपकी सेवा की .... मुझे तो दर्शन ना हुआ ... और इस बनिए को आधी रात में दर्शन देने पहुँच गए। जब पलटू बनिया को पूरी बात पता चली तो उसका हृदय भी धक् से होके रह गया कि जिन्हें मैं साधारण बालक समझ बैठा वे तो त्रिभुवन के नाथ थे... अरे मैं तो चरण भी न छू पाया। अब तो वे दोनों ही लोग बैठ कर रोएँ। इसके बाद कभी भी आश्रम में राशन की कमी नहीं हुई। आज तक वहाँ सन्त सेवा होती आ रही है। इस घटना के बाद ही पलटू बनिया को वैराग्य हो गया और यह पलटू बनिया ही बाद में श्री पलटूदास जी के नाम से विख्यात हुए श्री रामप्रसाद जी की व्याकुलता उस दिन हर क्षण के साथ बढ़ती ही जाए और रात में शयन के समय जब वे भजन गाने बैठे तो मूर्छित होकर गिर गए। संसार के लिए तो वे मूर्छित थे किन्तु मूर्च्छावस्था में ही उन्हें पत्नियों सहित चारों भाइयों का दर्शन हुआ और उसी दर्शन में श्री जानकी जी ने उनके आँसू पोंछे तथा अपनी ऊँगली से इनके माथे पर बिन्दी लगाई जिसे फिर सदैव इन्होंने अपने मस्तक पर धारण करके रखा। उसी के बाद से इनके आश्रम में बिन्दी_वाले_तिलक का प्रचलन हुआ। वास्तव में प्रभु चाहें तो ये अभाव... ये कष्ट भक्तों के जीवन में कभी ना आए परन्तु प्रभु जानबूझकर इन्हें भेजते हैं ताकि इन लीलाओं के माध्यम से ही जो अविश्वासी जीव हैं... वे सतर्क हो जाएं... उनके हृदय में विश्वास उत्पन्न हो सके। जैसे प्रभु ने आकर उनके कष्ट का निवारण किया ऐसे ही हमारा भी कर दे..!! 🚩जय सियाराम आपका दिन मंगलमय हो 🙏0 Yorumlar 0 hisse senetleri 632 Views 0 önizleme -
महान्तमासाद्य विद्यामैश्वर्यमेव वा।
विचरत्यसमुन्नद्धो य: स पंडित उच्यते।।
जो बहुत धन, विद्या तथा ऐश्वर्यको पाकर भी इठलाता नहीं चलता, वह पंडित कहलाता है।
One who does not flinch even after getting a lot of wealth, knowledge and opulence, he is called a true pandit.
शुभोदयम् !
शुभकामनाएं ।महान्तमासाद्य विद्यामैश्वर्यमेव वा। विचरत्यसमुन्नद्धो य: स पंडित उच्यते।। जो बहुत धन, विद्या तथा ऐश्वर्यको पाकर भी इठलाता नहीं चलता, वह पंडित कहलाता है। One who does not flinch even after getting a lot of wealth, knowledge and opulence, he is called a true pandit. शुभोदयम् ! शुभकामनाएं ।0 Yorumlar 0 hisse senetleri 594 Views 0 önizleme -
क्रिश्चियन धर्ममा अन्धविश्वास एक चर्चालेखक: पेशल कुमार निरौला र निल कुमार क्षेत्री भुमिका क्रिश्चियन धर्म नै संसारको सबै भन्दा ठुलो धर्म मानिन्छ । विश्वको एक तिहाइ जति जनसंख्या क्रिश्चियन छन् । यस लेखमा किश्चियन धर्मका मुख्य आधारहरुलाई वाइवलको प्रकाशमा हेरिएको छ । यस लेखको मुख्य तर्क के हो भने किश्चियन धर्मका मुल आधारः जिसस ईश्वरका पुत्र हुन्, ट्रिनिटिको विचार र मनुष्युको पाप जिससको रगतले पखालि दिन्छ भन्ने हुन् । यि विचारहरु...
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This is today's reality of Social Media Influencers....
:grinning-face-with-sweat: :grinning-face-with-sweat: :grinning-face-with-smiling-eyes: :rolling-on-the-floor-laughing:This is today's reality of Social Media Influencers.... :grinning-face-with-sweat: :grinning-face-with-sweat: :grinning-face-with-smiling-eyes: :rolling-on-the-floor-laughing:1 Yorumlar 0 hisse senetleri 897 Views 0 önizleme -
https://hamroglobalmedia.com/34560
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सनातन धर्म र संस्कार माथी को प्रगति...!!!? यस्तै अवस्था रहे निकट समय मै धर्मान्तरण ले तिव्र गति लिने छसनातन धर्म र संस्कार माथी को प्रगति...!!!? यस्तै अवस्था रहे निकट समय मै धर्मान्तरण ले तिव्र गति लिने छ
#गठबंधन_सरकार को हाम्रो सनातन धर्म र संस्कार माथी को प्रगति...!!!? यस्तै अवस्था रहे निकट समय मै धर्मान्तरण ले तिव्र गति लिने छ #सचेत_सनातन pic.twitter.com/h1KLPMvilw
— के. आत्रेय (@Atrey299) June 11, 20220 Yorumlar 0 hisse senetleri 555 Views 0 önizleme -
Good morning, Happy Saturday Everyone ❤️Good morning, Happy Saturday Everyone ❤️
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धान रोप्ने मौका पाउने भाग्यमानी को होला ? जीवन भनेको तपाईको मनको अनुभव र अवस्था हो। म पक्का छु, विश्वको ग्रामीण भागमा बसोबास गर्ने र अझै पनि प्रकृतिसँग राम्रोसँग जोडिएका मानिसहरू शहरी बासिन्दाहरू भन्दा बढी सन्तुष्ट र खुसी छन्।
Translation:
Who is lucky enough to experience sowing rice ? Life is all about experience and state of your mind. I am sure, people who live in the rural part of the world and still connected very well to the nature are more satisfied and happy than urban residents.धान रोप्ने मौका पाउने भाग्यमानी को होला ? जीवन भनेको तपाईको मनको अनुभव र अवस्था हो। म पक्का छु, विश्वको ग्रामीण भागमा बसोबास गर्ने र अझै पनि प्रकृतिसँग राम्रोसँग जोडिएका मानिसहरू शहरी बासिन्दाहरू भन्दा बढी सन्तुष्ट र खुसी छन्। Translation: Who is lucky enough to experience sowing rice ? Life is all about experience and state of your mind. I am sure, people who live in the rural part of the world and still connected very well to the nature are more satisfied and happy than urban residents. -
Football Ghamaasaan
Football Ghamaasaan -
Unexpected gathering with [Pkadel] and [Deepak] . Great food prajeeta, thank you.Unexpected gathering with [Pkadel] and [Deepak] . Great food prajeeta, thank you.
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Enjoying sunshine 🙏Enjoying sunshine 🙏