• 0 Комментарии 0 Поделились 407 Просмотры 0 предпросмотр
  • 👉India to donate 200,000 tons of grains to Ethiopia, Syria, Afghanistan and Yemen through WFP- (WLVN)
    👉India to donate 200,000 tons of grains to Ethiopia, Syria, Afghanistan and Yemen through WFP- (WLVN)
    0 Комментарии 0 Поделились 387 Просмотры 0 предпросмотр
  • Head of German network regulator warns of possible emergency situation later this year if gas supplies from Russia stopped now.

    "Companies and households don't realize how serious the situation is," Klaus Müller told ZEIT.
    Head of German network regulator warns of possible emergency situation later this year if gas supplies from Russia stopped now. "Companies and households don't realize how serious the situation is," Klaus Müller told ZEIT.
    0 Комментарии 0 Поделились 638 Просмотры 0 предпросмотр
  • राजनीति में संयम और धैर्य बहुत जरूरी है

    "If you gain courage because a thousand people are standing behind you, then you can only win a war. But if a thousand people get courage because you are standing in front of them, you can conquer the world"

    Trust me, I have learned about LEADERSHIP more from Modi ji then all my career
    राजनीति में संयम और धैर्य बहुत जरूरी है "If you gain courage because a thousand people are standing behind you, then you can only win a war. But if a thousand people get courage because you are standing in front of them, you can conquer the world" Trust me, I have learned about LEADERSHIP more from Modi ji then all my career
    0 Комментарии 0 Поделились 526 Просмотры 0 предпросмотр
  • 2021 The celebration is

    US में बिल पास हुआ जिसमें हिन्दू नववर्ष को मान्यता दी गई

    The reality

    The day we will stop celebrating endorsement from the west for dharma which is older than the west, we will evolve as a great nation, and Dharma.

    Hindus still lack pride in their Sanatan Darma unless the west endorse it
    2021 The celebration is US में बिल पास हुआ जिसमें हिन्दू नववर्ष को मान्यता दी गई The reality The day we will stop celebrating endorsement from the west for dharma which is older than the west, we will evolve as a great nation, and Dharma. Hindus still lack pride in their Sanatan Darma unless the west endorse it
    Love
    1
    0 Комментарии 0 Поделились 564 Просмотры 0 предпросмотр
  • Nothing is more contagious and widespreading than our feelings. If a disease can be contagious than so is health, vitality, peace, compassion, joy & love. Just be it to spread it. #brahmakumaris #thoughtoftheday
    Nothing is more contagious and widespreading than our feelings. If a disease can be contagious than so is health, vitality, peace, compassion, joy & love. Just be it to spread it. #brahmakumaris #thoughtoftheday
    0 Комментарии 0 Поделились 3Кб Просмотры 0 предпросмотр
  • Hyde park and London Bridge day out.
    Hyde park and London Bridge day out.
    Love
    1
    0 Комментарии 0 Поделились 541 Просмотры 0 предпросмотр
  • “निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
    तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥”

    ऊॅं हनुमते नम:
    “निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥” ऊॅं हनुमते नम:
    0 Комментарии 0 Поделились 497 Просмотры 0 предпросмотр
  • Can you guess in which #HolyBook you find these holy scriptures??
    There is no deity except Allah 40:62?
    Those who deny the Quran, their necks will be shackled 40:70?
    Polytheists are the worst of creatures 98:6?
    Do not marry polytheists unless they convert 2:221?
    Can you guess in which #HolyBook you find these holy scriptures?? There is no deity except Allah 40:62? Those who deny the Quran, their necks will be shackled 40:70? Polytheists are the worst of creatures 98:6? Do not marry polytheists unless they convert 2:221?
    0 Комментарии 0 Поделились 770 Просмотры 0 предпросмотр
  • हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa

    दोहा

    श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि।

    बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
    बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
    बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

    चौपाई

    जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
    जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
    रामदूत अतुलित बल धामा।
    अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।

    महावीर विक्रम बजरंगी।
    कुमति निवार सुमति के संगी।।
    कंचन वरन विराज सुवेसा।
    कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

    हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
    काँधे मूँज जनेऊ साजै।
    शंकर सुवन केसरीनंदन।
    तेज प्रताप महा जग वन्दन।।

    विद्यावान गुणी अति चातुर।
    राम काज करिबे को आतुर।।
    प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
    राम लखन सीता मन बसिया।।

    सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
    विकट रूप धरि लंक जरावा।।
    भीम रूप धरि असुर संहारे।
    रामचंद्र के काज संवारे।।

    लाय सजीवन लखन जियाये।
    श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
    रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
    तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।

    सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
    अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
    सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा।
    नारद सारद सहित अहीसा।।

    जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
    कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।।
    तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
    राम मिलाय राज पद दीन्हा।।

    तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
    लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
    जुग सहस्र योजन पर भानू।
    लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

    प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
    जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
    दुर्गम काज जगत के जेते।
    सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

    राम दुआरे तुम रखवारे।
    होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
    सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
    तुम रक्षक काहू को डरना।।

    आपन तेज सम्हारो आपै।
    तीनों लोक हांक तें कांपै।।
    भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
    महाबीर जब नाम सुनावै।।

    नासै रोग हरै सब पीरा।
    जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
    संकट तें हनुमान छुड़ावै।
    मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।।

    सब पर राम तपस्वी राजा।
    तिनके काज सकल तुम साजा।
    और मनोरथ जो कोई लावै।
    सोई अमित जीवन फल पावै।।

    चारों युग परताप तुम्हारा।
    है परसिद्ध जगत उजियारा।।
    साधु-संत के तुम रखवारे।
    असुर निकंदन राम दुलारे।।

    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
    अस वर दीन जानकी माता।।
    राम रसायन तुम्हरे पासा।
    सदा रहो रघुपति के दासा।।

    तुम्हरे भजन राम को भावै।
    जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
    अन्त काल रघुबर पुर जाई।
    जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।

    और देवता चित्त न धरई।
    हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
    संकट कटै मिटै सब पीरा।
    जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।

    जै जै जै हनुमान गोसाईं।
    कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
    जो सत बार पाठ कर कोई।
    छूटहिं बंदि महा सुख होई।।

    जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
    होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
    तुलसीदास सदा हरि चेरा।
    कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।

    दोहा
    पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
    राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

    हनुमान चालीसा Hanuman Chalisa दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज निजमनु मुकुरु सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन वरन विराज सुवेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै। शंकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग वन्दन।। विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा। नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कवि कोविद कहि सके कहाँ ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।। तुम्हरो मंत्र विभीषन माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना।। जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना।। आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै।। सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।। चारों युग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।। तुम्हरे भजन राम को भावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।। और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहिं बंदि महा सुख होई।। जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।। दोहा पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
    Love
    1
    0 Комментарии 0 Поделились 1Кб Просмотры 0 предпросмотр
  • Enjoy this beautiful Hanuman Chalisa.
    Best wishes to you on this special occasion of Hanuman Jayanti.
    https://youtu.be/F3WbngjAmkc
    Enjoy this beautiful Hanuman Chalisa. Best wishes to you on this special occasion of Hanuman Jayanti. https://youtu.be/F3WbngjAmkc
    Love
    2
    1 Комментарии 0 Поделились 734 Просмотры 0 предпросмотр
  • Someone asked me What is QUAD?

    EAM S Jaishankar with his Better half Kyoko Jaishankar, a person of Japanese origin (India Japan Covered). Thay have a son who is an American citizen (US covered).

    Jaishankar Ji's family is 75% QUAD.

    An Australian daughter-in-law can complete the QUAD😎😎
    Someone asked me What is QUAD? EAM S Jaishankar with his Better half Kyoko Jaishankar, a person of Japanese origin (India Japan Covered). Thay have a son who is an American citizen (US covered). Jaishankar Ji's family is 75% QUAD. An Australian daughter-in-law can complete the QUAD😎😎
    0 Комментарии 0 Поделились 677 Просмотры 0 предпросмотр
  • Unfortunate accident today at Whitechapel, London. Please be more careful while on the bike.
    Unfortunate accident today at Whitechapel, London. Please be more careful while on the bike.
    0 Комментарии 0 Поделились 481 Просмотры 11 0 предпросмотр
  • You ignore your inner world and that's why you crave attention from the outer world. Once you give attention to your divinity, your hunger for appreciation will end. #brahmakumaris
    You ignore your inner world and that's why you crave attention from the outer world. Once you give attention to your divinity, your hunger for appreciation will end. #brahmakumaris
    Love
    1
    0 Комментарии 0 Поделились 2Кб Просмотры 0 предпросмотр
  • Small get together at Hall Place!
    Another beautiful weather today!!
    Small get together at Hall Place! Another beautiful weather today!!
    1 Комментарии 0 Поделились 511 Просмотры 0 предпросмотр
  • Go ape 🦍 braknel
    Go ape 🦍 braknel
    Love
    2
    1 Комментарии 0 Поделились 1Кб Просмотры 8 0 предпросмотр
  • मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?

    श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं। भूमि से दस हजार योजन नीचे अतल, अतल से दस हजार योजन नीचे वितल, उससे दस हजार योजन नीचे सतल, इसी क्रम से सब लोक स्थित हैं। अतल, वितल, सतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल ये सातों लोक पाताल स्वर्ग कहलाते हैं। इनमें भी काम, भोग, ऐश्वर्य, आनन्द, विभूति ये वर्तमान हैं। दैत्य, दानव, नाग ये सब वहां आनन्द पूर्वक भोग-विलास करते हुए रहते हैं। इन सब पातालों में अनेक पुरियां प्रकाशमान रहती हैं। इनमें देवलोक की शोभा से भी अधिक बाटिका और उपवन हैं। इन पातालों में सूर्य आदि ग्रहों के न होने से दिन-रात्रि का विभाग नहीं है। इस कारण काल का भय नहीं रहता है। यहां बड़े-बड़े नागों के सिर की मणियां अंधकार दूर करती रहती हैं।

    पाताल में ही नाग लोक के पति वासुकी आदि नाग रहते हैं। श्री शुकदेव के मतानुसार पाताल से तीस हजार योजन दूर शेषजी विराजमान हैं। शेषजी के सिर पर पृथ्वी रखी है। जब ये शेष प्रलय काल में जगत के संहार की इच्छा करते हैं, तो क्रोध से कुटिल भृकुटियों के मध्य तीन नेत्रों से युक्त 11 रुद्र त्रिशूल लिए प्रकट होते हैं। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण (मस्तिष्क) पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है।

    शेष चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम् । यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम् ॥
    -महाभारत/भीष्मपर्व 67/13

    अर्थात् इन परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को उत्पन्न किया, जो पर्वतों सहित इस सारी पृथ्वी को तथा भूतमात्र को धारण किए हुए है।

    उल्लेखनीय है कि हजार फणों वाले शेषनाग समस्त नागों के राजा हैं। भगवान् की शव्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं और बहुत बार भगवान् के साथ-साथ अवतार लेकर उनकी लीला में सम्मिलित भी रहते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता के 10वें अध्याय के 29वें श्लोक में भगवान् कृष्ण ने कहा है-अनन्तश्चास्मि नागानाम्' अर्थात् मैं नागों में शेषनाग हूं।

    नींव पूजन का पूरा कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर संपूर्ण पृथ्वी को धारण किए हुए है, ठीक उसी प्रकार मेरे इस भवन की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूर्ण मजबूती के साथ स्थापित रहे ।

    शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं, इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे साक्षात् उपस्थित होकर भवन की रक्षा का भार वहन करें। विष्णुरूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर पुष्प व दूध पूजन में अर्पित किया जाता है, जो नागों को अतिप्रिय है। भगवान् शिवजी के आभूषण तो नाग है ही। लक्ष्मण और बलराम शेषावतार माने जाते हैं। इसी विश्वास से यह प्रथा जारी है।
    मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है? श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं। भूमि से दस हजार योजन नीचे अतल, अतल से दस हजार योजन नीचे वितल, उससे दस हजार योजन नीचे सतल, इसी क्रम से सब लोक स्थित हैं। अतल, वितल, सतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल ये सातों लोक पाताल स्वर्ग कहलाते हैं। इनमें भी काम, भोग, ऐश्वर्य, आनन्द, विभूति ये वर्तमान हैं। दैत्य, दानव, नाग ये सब वहां आनन्द पूर्वक भोग-विलास करते हुए रहते हैं। इन सब पातालों में अनेक पुरियां प्रकाशमान रहती हैं। इनमें देवलोक की शोभा से भी अधिक बाटिका और उपवन हैं। इन पातालों में सूर्य आदि ग्रहों के न होने से दिन-रात्रि का विभाग नहीं है। इस कारण काल का भय नहीं रहता है। यहां बड़े-बड़े नागों के सिर की मणियां अंधकार दूर करती रहती हैं। पाताल में ही नाग लोक के पति वासुकी आदि नाग रहते हैं। श्री शुकदेव के मतानुसार पाताल से तीस हजार योजन दूर शेषजी विराजमान हैं। शेषजी के सिर पर पृथ्वी रखी है। जब ये शेष प्रलय काल में जगत के संहार की इच्छा करते हैं, तो क्रोध से कुटिल भृकुटियों के मध्य तीन नेत्रों से युक्त 11 रुद्र त्रिशूल लिए प्रकट होते हैं। पौराणिक ग्रंथों में शेषनाग के फण (मस्तिष्क) पर पृथ्वी टिकी होने का उल्लेख मिलता है। शेष चाकल्पयद्देवमनन्तं विश्वरूपिणम् । यो धारयति भूतानि धरां चेमां सपर्वताम् ॥ -महाभारत/भीष्मपर्व 67/13 अर्थात् इन परमदेव ने विश्वरूप अनंत नामक देवस्वरूप शेषनाग को उत्पन्न किया, जो पर्वतों सहित इस सारी पृथ्वी को तथा भूतमात्र को धारण किए हुए है। उल्लेखनीय है कि हजार फणों वाले शेषनाग समस्त नागों के राजा हैं। भगवान् की शव्या बनकर सुख पहुंचाने वाले, उनके अनन्य भक्त हैं और बहुत बार भगवान् के साथ-साथ अवतार लेकर उनकी लीला में सम्मिलित भी रहते हैं। श्रीमद्भगवद्गीता के 10वें अध्याय के 29वें श्लोक में भगवान् कृष्ण ने कहा है-अनन्तश्चास्मि नागानाम्' अर्थात् मैं नागों में शेषनाग हूं। नींव पूजन का पूरा कर्मकांड इस मनोवैज्ञानिक विश्वास पर आधारित है कि जैसे शेषनाग अपने फण पर संपूर्ण पृथ्वी को धारण किए हुए है, ठीक उसी प्रकार मेरे इस भवन की नींव भी प्रतिष्ठित किए हुए चांदी के नाग के फण पर पूर्ण मजबूती के साथ स्थापित रहे । शेषनाग क्षीरसागर में रहते हैं, इसलिए पूजन के कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान कर शेषनाग को बुलाया जाता है, ताकि वे साक्षात् उपस्थित होकर भवन की रक्षा का भार वहन करें। विष्णुरूपी कलश में लक्ष्मी स्वरूप सिक्का डालकर पुष्प व दूध पूजन में अर्पित किया जाता है, जो नागों को अतिप्रिय है। भगवान् शिवजी के आभूषण तो नाग है ही। लक्ष्मण और बलराम शेषावतार माने जाते हैं। इसी विश्वास से यह प्रथा जारी है।
    0 Комментарии 0 Поделились 611 Просмотры 0 предпросмотр
  • Google sent out an email to millions of publishers and YouTubers on Wednesday warning them that they'll be demonetized if their take on the conflict in Ukraine doesn't align with the State Department.

    #FreeSpeechMyFoot
    Google sent out an email to millions of publishers and YouTubers on Wednesday warning them that they'll be demonetized if their take on the conflict in Ukraine doesn't align with the State Department. #FreeSpeechMyFoot
    0 Комментарии 0 Поделились 2Кб Просмотры 0 предпросмотр