समोसा

0
10K

ब्रह्माण्ड के किसी भी हलवाई की दुकान पर दो चीजें होना जरूरी है वर्ना वह दूकान हलवाई की दूकान नहीं कहलाती....

 

पहला तो हलवाई खुद और दूसरा समोसा !

 

संसार की एकमात्र ऐसी रचना जिसके तीन कोने होने के बावजूद भी शान से सीना तान कर खड़ा हो जाता है ....

 

.हलवाई की दुकान पर जब समोसे भर कर रखे जाते है तो तले जाने से पहले पूरी समोसा मंडली पंक्तिबद्ध रूप से यूँ ट्रे में खड़े दिखती हैं मानो सफ़ेद वर्दी पहने जवान सावधान की मुद्रा में खड़े होकर गार्ड ऑफ़ ऑनर दे रहे हों।

 

अपने इसी शाही अन्दाज़ के कारण सैकड़ों वर्षों से समोसा स्नैक फ़ूड का अघोषित सम्राट है और अपनी दो महारानियों यानी कि हरी चटनी और लाल चटनी के साथ फूडीयों के दिलों में राज करता है।

 

अमीर-गरीब में फर्क नहीं करता.....एयरपोर्ट लाउंज की फैंसी लुटेरी कॉफ़ी शॉप में "टू समोसास फॉर टू हंड्रेड फिफ्टी रूपीज़" में भी मिलता है और डाकखाने के सामने टीन के पतरे को लोहे की तार के साथ बिजली के पुराने खम्भे के साथ बाँध कर बनायी गई टपरी पर “दस के दो” भी मिलता है......ताज़ होटल की चाँदी की प्लेट में भी परोसा जाता है और पुल के नीचे वाले ठेले पर अख़बार में लिपटा हुआ भी मिलता है ......मतलब कुल मिला कर बड़े वाले सेठ जी और सेठ जी के घर का नौकर दोनो बराबर स्वाद लेते है...

 

सड़क के किनारे किसी ठेले पर छोले और चटनी के साथ  स्वाद लेते हुए किसी नयी नयी जॉब पर लगे हुए कूरियर कम्पनी के डिलीवरी बॉय के फ़ोन पर जब कॉल आती है और वो सामने से रिप्लाई करता है कि “मैं लंच कर रहा हूँ” तो क़सम से समोसे को इतना प्राउड फ़ील होता होगा कि उसके अंदर के आलू “अजीमो शान शहंशाह” वाले बैकग्राउंड म्यूज़िक पर नाचने लगते होंगे.....बस यूं समझिये कि जहाँ कुछ भी खाने को नहीं मिलता वहां पर भी समोसा हमेशा प्राणरक्षक का काम करता है।

 

जिस प्रकार मनुष्य के जीवन में मौत और दूकान में ग्राहक के आने का कोई निश्चित समय नहीं होता.... ठीक ऐसे ही समोसा खाने का भी कोई निश्चित समय नहीं है..... पूरे हिंदुस्तान में ही नहीं विश्व के कई देशों में में सुबह-सुबह नाश्ते में खाया जाता है.....देशभर की फ़ैक्टरियों, कम्पनियों की कैंटीन में तो दिन भर खाया जाता है.....स्कूल कॉलेजों की कैंटीन में मैं अनगिनत बनती बिगड़ती प्रेम कहानियों का गवाह बना है.... इन कैंटीनों की कड़ाही में दिन भर....निरंतर उत्पादन होता ही रहता है !

 

लेबर को ओवरटाइम का पैसा भले ही बीस रुपए कम दे दो पर बीच में एक ब्रेक लेकर चाय के साथ दुई समोसा खिला दो फिर देखी कैसे लेंटर डलने का काम भाँय से निपटता है।

 

समोसा, कहीं मैश किए हुए आलू से भरा जाता है तो कहीं कटे हुए चौकोर आलुओं से..... देश भर में कहीं भी किसी स्कूल में निरीक्षक आ जाएँ, किसी कम्पनी में ऑडिटर आ जाएँ, दुकान पर कोई पुराना ग्राहक ख़रीदारी करने आ जाए तो ट्रे में चाय के कप के साथ समोसा होना उतना ही स्वाभाविक है जितनी कि सेटमैक्स पर बार बार सूर्यवंशम का आना......फिर चाहे चाय के साथ चिप्स, बिस्किट, भुजिया कुछ भी हो पर अतिथि के लिए “अरे ! एक समोसा तो लीजिए” का आग्रह सम्बोधन एक सम्मान सूचक वाक्य माना जाता है.

 

भारत के राष्ट्रीय स्नैक की पदवी के लिए चाहे तो कोई सर्वे करवा लीजिए चाहे वोटिंग, मेरा दावा है कि इस पदवी पर समोसे का चुनाव होना 100% पक्का है......यह मैं नहीं कह रहा हूँ बल्कि विश्व भर में समोसे के करोड़ों चाहने वाले कह रहे हैं !

Content Creator: Dr Gaurav Pradhan

Patrocinado
Pesquisar
Patrocinado
Categorias
Leia Mais
Sanatan Dharma
A BEGINNING STEP IN BHAKTI with HG Patri Prabhu
Pashupatinath Mandir in Southeast London is delighted to invite you to an enlightening evening...
Por Yubaraj Sedai 2024-05-19 06:25:45 0 9K
Literature & Culture
THE ROARING POWER OF HANUMAN
  Sanatan Dharma voice is often called the “Lion’s Roar,” roaring...
Por Santosh Sedai 2023-05-23 11:14:31 0 12K
Moral Stories
Panchatantra Moral Stories
The Foolish Donkey Once upon a time, there was a foolish donkey who worked for a washerman....
Por Timeless Moral Stories 2024-09-29 06:05:06 0 6K
War & History
कुनै पनि कोणले भारत नेपालको ठूलो वा जेठो दाजु होइन
भारतले विचार र व्यवहारले आफूलाई नेपालको ठूलो दाजु ठान्दै र भन्दै आएको छ। केही वर्ष अगाडि भारतकी...
Por Khagendra Raj Sitoula 2023-04-28 09:30:12 1 13K
Literature & Culture
A Celebration of Classical Music: Lavani Chakraborty Presents Raag Bhimpalasi
Kathmandu, October 29 — The Achyutram Bhandari Sangeet Pratisthan, in its 28th edition,...
Por Hamro Global 2024-10-30 06:01:31 0 6K