33 करोड़ देवता नहीं, बल्कि 33 कोटि देवता

0
7χλμ.

सनातन धर्म में '33 करोड़ देवता' का उल्लेख एक आम धारणा है, लेकिन यह एक गलतफहमी है जो वैदिक संस्कृत के गलत अनुवाद के कारण उत्पन्न हुई है। वास्तव में, वेदों में '33 कोटि' देवताओं का उल्लेख है, जिसका सही अर्थ 33 प्रकार या श्रेणियों के देवता है, न कि 33 करोड़ देवता। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस भिन्नता को समझें और सही संदर्भ में प्रस्तुत करें।

33 कोटि देवता: सही अर्थ

वेदों में 'त्रयस्त्रिंशत कोटि' (trayastrimsati koti) का उल्लेख अथर्ववेद, यजुर्वेद, और शतपथ ब्राह्मण में मिलता है। 'कोटि' शब्द का सही अर्थ 'प्रकार' या 'श्रेणी' है, और इसका संकेत 33 करोड़ देवताओं की संख्या की ओर नहीं है। वैदिक साहित्य में 33 प्रमुख देवताओं का वर्णन है, जो तीन श्रेणियों में विभाजित हैं:

आदित्य (12)
1. विवस्वान: सूर्य देवता
2. अर्यमा: संधि और आतिथ्य के देवता
3. पूषा: यात्राओं और मार्गदर्शन के देवता
4. त्वष्टा: कारीगरी और सृजन के देवता
5. सविता: प्रेरणा और जीवन ऊर्जा के देवता
6. भग: समृद्धि और भाग्य के देवता
7. धाता: नियति और विधान के देवता
8. वर्षा: ऋतु और मौसम के देवता
9. मित्र: मित्रता और अनुशासन के देवता
10. शक्र: इंद्र, वज्र के देवता
11. वामन: विष्णु के अवतार, जिनका उल्लेख बाद में मिलता है
12. विष्णु: संरक्षक और पालनहार देवता

रुद्र (11)
1. कपाॠ: पृथ्वी का संरक्षण करने वाले देवता
2. कवाॠ: औषधियों और जड़ी-बूटियों के देवता
3. कुपरदि: रोगों को दूर करने वाले देवता
4. कुरुलय: वायु और परिवहन के देवता
5. कुलिशॠ: तूफान और बिजली के देवता
6. कुंठपि: रक्षक और मार्गदर्शक देवता
7. कुन्यम्: यज्ञ और अनुष्ठानों के देवता
8. कुट्थलम्: युद्ध और विजय के देवता
9. कुभारि: शांति और साधना के देवता
10. कुबीलि: जल और समृद्धि के देवता
11. कुचरम्: आनन्द और उल्लास के देवता

वसु (8)
1. ध्रुव: स्थिरता और दृढ़ता के देवता
2. धरा: पृथ्वी और समर्थन के देवता
3. अनिल: वायु और जीवन की शक्ति के देवता
4. अग्नि: अग्नि और ऊर्जा के देवता
5. अप: जल और शुद्धता के देवता
6. प्रत्युष: सुबह और नई शुरुआत के देवता
7. प्रभास: प्रकाश और चमक के देवता
8. सोंटा: संपत्ति और समृद्धि के देवता


इंद्र और प्रजापति (2 अश्विन)
1. इंद्र: देवताओं के राजा और वज्र के देवता
2. प्रजापति: सृष्टि और जीवों के निर्माता देवता

निष्कर्ष

'33 करोड़ देवता' की धारणा एक गलत अनुवाद के कारण फैली हुई है। वैदिक साहित्य में '33 कोटि' का सही अर्थ 33 प्रकार या श्रेणियों के देवता है। ये 33 कोटि देवता आदित्य, रुद्र, वसु, और इंद्र-प्रजापति के रूप में विभाजित हैं, जो विभिन्न शक्तियों और कर्तव्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं। सही संदर्भ और अर्थ को समझकर ही हम वेदों और उनके ज्ञान को सही ढंग से आत्मसात कर सकते हैं और सनातन धर्म के महान संतों और विद्वानों के प्रति अपनी श्रद्धा और सम्मान को और गहरा कर सकते हैं।

Προωθημένο
Αναζήτηση
Προωθημένο
Κατηγορίες
Διαβάζω περισσότερα
Sanatan Dharma
क्रिश्चियन धर्ममा अन्धविश्वास एक चर्चा
लेखक: पेशल कुमार निरौला र निल कुमार क्षेत्री  भुमिका क्रिश्चियन धर्म नै संसारको सबै भन्दा...
από Yubaraj Sedai 2022-06-10 07:05:58 0 13χλμ.
News
Exit Poll Report: Indian Election 2024
Exit Poll 2024 Updates Exit polls predict huge win for BJP-led NDA powered by East & South...
από Bharat Updates 2024-06-02 06:10:18 0 8χλμ.
Pet Lovers
Nepal’s Churpi Exports Grow Strongly, Especially in the UK
Nepal’s Churpi Exports Grow Strongly, Especially in the UK Kathmandu — Nepal’s...
από Yubaraj Sedai 2025-01-27 13:42:29 0 7χλμ.
News
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु का 78वें स्वतन्त्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम संदेश
नई दिल्ली : 14.08.2024 मेरे प्यारे देशवासियो, मैं आप सभी को स्वतन्त्रता...
από Bharat Updates 2024-08-14 18:49:28 0 7χλμ.
Education & Training
A Heartfelt Plea: Nurturing Mental Well-being in Our Youth
In the tapestry of life, there are threads of joy, love, and laughter that weave together our...
από Yubaraj Sedai 2023-11-21 11:26:52 0 12χλμ.